इंदौर
मध्य प्रदेश के भाजपा प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा की हार्ट अटैक से मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि कल देर रात वह एक शादी कार्यक्रम में गए हुए थे। वहां अचानक उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया। जिसके बाद सुबह तक वह घर लौटकर आ गए।
घर आने के बाद उन्होंने खाना खाया जिसके बाद उन्हें हार्ट अटैक आ गया। परिजन उन्हें आनन-फानन में केवल्य अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। भाजपा प्रवक्ता की मौत से राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। अस्पताल में बीजेपी के बड़े नेताओं का पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है।
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में हुए थे शामिल
इंदौर में तीन साल पहले जब राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के लिए आए थे। तब यात्रा की तैयारी की सिलसिले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ वे इंदौर के गुरुद्वारे गए थे। वहां कमलनाथ का विरोध हुआ। इस घटना से नाथ सलूजा को लेकर नाराज थे। इसके बाद सलूजा ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा ने सलूजा को प्रदेश प्रवक्ता बनाया था और वे काफी सक्रिय थे।
नाश्ते के बाद हो गई थी तबीयत खराब
सलूजा अपने एक मित्र की बेटी की शादी के लिए दो दिन से रिसोर्ट में रुके थे। उनके साथ शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीत सिंह भी थी। नाश्ते के बाद उनकी तबीयत खराब होने लगी, तो उन्होंने कहा कि मुझे ठीक नहीं लग रहा है। दोपहर में सलूजा गुरुद्वारा में होने वाले फेरे में भी इस कारण शामिल नहीं हो पाए और सीधे इंदौर लौट आए, लेकिन घर जाते ही तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी।
बेटी के आने के बाद होगा अंतिम संस्कार नरेंद्र सलूजा की बेटी अमेरिका में रहती है। उन्हें आने में 48 घंटे का समय लगेगा। बेटी के अमेरिका से इंदौर आने के बाद ही अंतिम संस्कार किया जाएगा।
आखिरी पोस्ट में अक्षय तृतीया की शुभकामनाएं दी नरेंद्र सलूजा सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते थे। उन्होंने अपने आखिरी ट्वीट में अक्षय तृतीया की शुभकामनाएं देते हुए एक फोटो पोस्ट की थी।
बीजेपी में आते ही सलूजा ने सिख दंगों का जिक्र किया था शिवराज सिंह चौहान के हाथों बीजेपी की सदस्यता लेने के बाद नरेंद्र सलूजा ने कहा था- कमलनाथ जी जब मध्यप्रदेश में 1 मई 2018 को आए थे, तो उन्होंने सबसे पहला पत्र देते हुए मुझे अपना मीडिया को-ऑर्डिनेटर बनाया था।
जबसे मैं उनसे जुड़ा, कई लोगों ने कहा था कि 1984 के दंगों में उनका नाम है। मुझे लगता था कि राजनीतिक विद्वेषता के कारण कुछ लोग ऐसा कहते हैं। इस बीच 8 नवंबर को मैं उनके साथ गुरुनानक जी के प्रकाश पर्व पर इंदौर के खालसा स्टेडियम में गया। वहां पर उन्होंने मत्था टेका।
इसी बीच देश के प्रसिद्ध कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कानपुरी, जिन पर सिखों की आस्था है उन्होंने जो शब्द कहे, वे मेरे कानों में गूंजने लगे। मैं दो-तीन दिन से सो नहीं पाया। उन्होंने कहा था कि यहां एक ऐसे नेता का सम्मान हो रहा है, जिसने 1984 के दंगों में टायर डालकर लोगों को जिस भीड़ ने जलाया, उसका नेतृत्व किया।
कानपुरी ने कीर्तन करने से मना कर दिया था और इंदौर में कदम नहीं रखने की बात कही थी। उनके वे शब्द थे, जिसने मेरी आत्मा को झकझोर दिया। 8 नवंबर से मैंने कमलनाथ जी से मुलाकात और बात नहीं की। न ही कांग्रेस के लिए काम किया।
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