बांग्लादेश में चुनावी घमासान: अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच झुकी अंतरिम सरकार?

बांग्लादेश में चुनाव को लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की स्थिति बदलती नजर आ रही है। उन्होंने हाल ही में स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी, बांग्लादेश अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की कोई योजना नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जिन नेताओं पर हत्या और मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप है, उन्हें अदालतों में मुकदमे का सामना करना पड़ेगा।

क्राइसिस ग्रुप से हुई महत्वपूर्ण बैठक

गुरुवार को मोहम्मद यूनुस ने ढाका में ‘इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप’ के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने बताया कि चुनाव के लिए दो तारीखें तय की गई हैं और ये तिथियां नहीं बदली जाएंगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि अंतरिम सरकार अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चुनाव कराने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

अवामी लीग नेताओं को हेग भेजने की योजना?

मुख्य सलाहकार यूनुस ने क्राइसिस ग्रुप को बताया कि सरकार अवामी लीग के नेताओं को संभावित अपराधों के लिए हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में भेजने पर विचार कर रही है। हालांकि, इस मुद्दे पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

चुनाव को निर्धारित समय पर कराने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए यूनुस ने कहा कि किसी भी मांग के कारण मतदान में देरी नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि राजनीतिक दल केवल सीमित सुधारों की मांग करते हैं, तो चुनाव दिसंबर में होंगे, लेकिन यदि वे बड़े सुधारों का आग्रह करते हैं, तो मतदान अगले वर्ष जून में आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र होंगे।

राजनीतिक दलों के साथ संवाद जारी

मुख्य सलाहकार ने बताया कि सर्वसम्मति निर्माण आयोग ने राजनीतिक दलों के साथ चर्चा शुरू कर दी है। सरकार जुलाई चार्टर को अंतिम रूप देने और उस पर हस्ताक्षर करने की योजना बना रही है, जो आगामी महीनों में सरकारी नीतियों के लिए एक मार्गदर्शक ढांचा तैयार करेगा।

रोहिंग्या विद्रोही नेता की गिरफ्तारी पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अंतरराष्ट्रीय संकट समूह के अधिकारियों ने हाल ही में रोहिंग्या विद्रोही नेता अताउल्लाह की गिरफ्तारी की सराहना की है। उन्होंने इसे शरणार्थी शिविरों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए अंतरिम सरकार की प्रतिबद्धता का संकेत बताया है।

बांग्लादेश में चुनावी परिदृश्य लगातार बदल रहा है। अंतरराष्ट्रीय दबाव और राजनीतिक तनाव के बीच देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में देश की दिशा किस ओर जाती है।

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