भारतीय मूल की नासा अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में 286 दिन बिताने के बाद सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौट आई हैं। उनकी वापसी से गुजरात के उनके पैतृक गांव झूलासण (Jhulasan) में खुशी की लहर दौड़ गई। गांव के लोगों और परिवारजनों ने इस ऐतिहासिक पल को उत्सव की तरह मनाया। उनकी चचेरी बहन फाल्गुनी पंड्या ने इसे “अविस्मरणीय पल” बताया और कहा कि पूरा परिवार अब सुनीता के साथ छुट्टियां बिताने की योजना बना रहा है।
स्पेसएक्स ड्रैगन से सुरक्षित वापसी
सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगी बुच विलमोर (Butch Wilmore) ने स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए फ्लोरिडा तट पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। उनका मिशन मूल रूप से कुछ दिनों का था, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण यह लगभग 9 महीने तक चला। 5 जून 2024 को बोइंग स्टारलाइनर के पहले मानव मिशन के तहत उन्हें अंतरिक्ष में भेजा गया था, लेकिन वापसी के लिए स्टारलाइनर अनुपयुक्त साबित हुआ। इसके बाद नासा ने स्पेसएक्स-नासा क्रू-9 मिशन के तहत उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की।
गुजरात में जश्न, पीएम मोदी ने दी बधाई
सुनीता विलियम्स के पृथ्वी पर लौटते ही गुजरात के झूलासण गांव में जश्न शुरू हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सुनीता को बधाई पत्र लिखा और कहा कि “1.4 अरब भारतीयों को आपकी सफलता पर गर्व है।” मोदी ने यह भी बताया कि जब वह अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडेन से मिले थे, तब उन्होंने सुनीता की कुशलक्षेम के बारे में जानकारी ली थी।
सुनीता जल्द आएंगी भारत
सुनीता विलियम्स की चचेरी बहन फाल्गुनी पंड्या ने पुष्टि की है कि वह जल्द भारत आएंगी। इस खबर से गांव में उत्सव जैसा माहौल है।
क्या सुनीता फिर जाएंगी अंतरिक्ष में?
क्या सुनीता विलियम्स फिर से अंतरिक्ष में जाएंगी या मंगल ग्रह पर उतरने वाली पहली महिला बनेंगी? इस पर उनकी चचेरी बहन ने कहा कि यह “सुनीता की इच्छा पर निर्भर करेगा”। उन्होंने कहा, “वह हम सभी के लिए प्रेरणा हैं।”
286 दिन अंतरिक्ष में, 900 घंटे का शोध
नासा के अनुसार, सुनीता और बुच विलमोर ने 900 घंटे का शोध कार्य पूरा किया और 150 से अधिक प्रयोग किए। उन्होंने 9 बार स्पेसवॉक करते हुए कुल 62 घंटे 9 मिनट अंतरिक्ष में बिताए। यह मिशन अंतरिक्ष विज्ञान के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुआ।
झूलासण गांव में गर्व और उत्साह
गुजरात का झूलासण गांव, जो मेहसाणा जिले में स्थित है, सुनीता के पिता दीपक पांड्या का पैतृक गांव है। दीपक पांड्या 1957 में अमेरिका चले गए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने पत्र में सुनीता के दिवंगत पिता को याद करते हुए लिखा, “मुझे पूरा विश्वास है कि उनके आशीर्वाद हमेशा आपके साथ हैं।” उनकी मां बॉनी पंड्या भी उनकी वापसी से बेहद खुश हैं।
अब पूरी दुनिया की नजरें सुनीता विलियम्स की भारत यात्रा पर टिकी हैं। उनके गांव के लोग और पूरा देश गर्व और उत्साह से भरा हुआ है। जल्द ही, गांव की बेटी अपने वतन आएंगी और अपने परिवार व प्रशंसकों के साथ समय बिताएंगी। सुनीता विलियम्स की यह सफलता भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।