भारत तेजी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। लेकिन जब मजदूरी की बात आती है, तो भारत और अमेरिका के बीच एक बड़ा आर्थिक अंतर नजर आता है।
अमेरिका में एक मजदूर जितनी कमाई एक महीने में करता है, भारतीय श्रमिकों को उतनी ही कमाई करने में 10 से 20 महीने तक लग सकते हैं। आइए जानते हैं कि दोनों देशों के मजदूरों की कमाई में इतना बड़ा अंतर क्यों है।
अमेरिकी मजदूरों की भारतीय श्रमिकों से ज्यादा कमाई
अमेरिका में मजदूरों की औसतन मासिक कमाई भारतीय मजदूरों की तुलना में कई गुना अधिक है। इसका कारण दोनों देशों के आर्थिक विकास, न्यूनतम वेतन कानून और जीवन स्तर में भारी अंतर है। अमेरिका में उच्च मजदूरी मजदूरों के बेहतर जीवन स्तर को सुनिश्चित करती है, जबकि भारत में कम मजदूरी और महंगाई श्रमिकों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
अमेरिका में मजदूरों की औसत कमाई कितनी है?
विश्व बैंक और अमेरिकी श्रम सांख्यिकी ब्यूरो (BLS) के अनुसार, अमेरिका में एक मजदूर की औसतन मासिक कमाई 3,500 से 4,000 डॉलर (करीब 2.8 लाख रुपये से 3.2 लाख रुपये) तक होती है।
- अमेरिका में न्यूनतम वेतन:
- प्रत्येक राज्य में अलग-अलग न्यूनतम वेतन निर्धारित है।
- फेडरल न्यूनतम वेतन: 7.25 डॉलर प्रति घंटा
- कुछ राज्यों जैसे न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया में: 15 डॉलर प्रति घंटा
यानी, एक अमेरिकी मजदूर यदि न्यूनतम वेतन पर भी काम करता है, तो उसकी कमाई भारतीय मजदूरों की तुलना में कई गुना ज्यादा होती है।
भारत में मजदूरों की औसत कमाई कितनी है?
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एक आम मजदूर हर महीने सिर्फ 10,000 से 20,000 रुपये (करीब 120 डॉलर से 250 डॉलर) तक कमाता है।
- भारत में न्यूनतम वेतन:
- अलग-अलग राज्यों में न्यूनतम वेतन अलग निर्धारित है।
- दिल्ली में न्यूनतम वेतन: 15,000 रुपये प्रति माह
- ग्रामीण इलाकों में मजदूरी 5,000-10,000 रुपये प्रति माह तक होती है।
अमेरिका और भारत में मजदूरी का इतना बड़ा अंतर क्यों?
✅ 1. आर्थिक विकास में अंतर:
- अमेरिका की अर्थव्यवस्था बेहद विकसित है और वहां औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में मजदूरों की मांग अधिक है।
- भारत में भी विकास हो रहा है, लेकिन असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की संख्या बहुत अधिक है, जिससे उनकी मजदूरी कम रहती है।
✅ 2. न्यूनतम वेतन कानून:
- अमेरिका में कानूनी रूप से मजबूत न्यूनतम वेतन प्रणाली लागू है, जिससे मजदूरों को अच्छा वेतन मिलता है।
- भारत में न्यूनतम वेतन कई जगह बहुत कम है और कई बार इसे लागू करवाना भी मुश्किल हो जाता है।
✅ 3. जीवन स्तर और महंगाई:
- अमेरिका में महंगाई ज्यादा है, इसलिए मजदूरी भी अधिक है।
- भारत में महंगाई तुलनात्मक रूप से कम है, लेकिन मजदूरी इतनी कम होती है कि मजदूरों के रोजमर्रा के खर्च भी पूरे नहीं हो पाते।
क्या भारत में मजदूरी बढ़ाने की जरूरत है?
भारत में अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, लेकिन यदि मजदूरों की आय नहीं बढ़ी, तो यह विकास सिर्फ आंकड़ों तक सीमित रह जाएगा। अमेरिका जैसे विकसित देशों की तुलना में भारत में मजदूरों को अभी भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें कम मजदूरी, असंगठित रोजगार और श्रमिक अधिकारों की कमी शामिल हैं।
यदि भारत को वास्तव में आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है, तो मजदूरों की आमदनी बढ़ाने और न्यूनतम वेतन को प्रभावी रूप से लागू करने की सख्त जरूरत है।